हिमाचल प्रदेश सरकार ने धार्मिक संस्थाओं को जमीन बेचने और ट्रांसफर करने की अनुमति देने से जुड़े संशोधित विधेयक को विधानसभा में पारित कर दिया है। अब इसे राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए राजभवन द्वारा भेजा गया है। राष्ट्रपति की स्वीकृति के बाद ही यह कानून राज्य में लागू किया जा सकेगा।
संशोधित विधेयक के अनुसार, धार्मिक संस्थाएं केवल धार्मिक गतिविधियों के लिए जमीन खरीद या ट्रांसफर कर सकेंगी। होटल या अन्य व्यावसायिक उपयोग के लिए जमीन न तो बेची जाएगी और न ही ट्रांसफर की जा सकेगी। हिमाचल प्रदेश में धार्मिक संगठनों को लोगों द्वारा सैकड़ों बीघा जमीन दान में दी गई है, जिससे इन संस्थाओं के पास अरबों रुपये की संपत्ति मौजूद है।
राधास्वामी सत्संग ब्यास के लिए किया गया संशोधन
हिमाचल सरकार ने लैंड सीलिंग एक्ट-1972 में संशोधन किया है, जो विशेष रूप से राधास्वामी सत्संग ब्यास के लिए किया गया है। संस्था हमीरपुर जिले के भोटा स्थित अपने अस्पताल को किसी सोसायटी को ट्रांसफर करना चाहती है। यह एक चैरिटेबल अस्पताल है, जहां जिले के सैकड़ों लोगों को मुफ्त इलाज मिलता है। संस्था के आग्रह पर कानूनी पहलुओं की समीक्षा के बाद विधानसभा में संशोधित विधेयक को मंजूरी दी गई।
पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. वाईएस परमार के समय बनाए गए हिमाचल प्रदेश सीलिंग ऑन लैंड होल्डिंग एक्ट के तहत भूमि के व्यक्तिगत उपयोग की सीमा तय की गई थी। एक्ट की धारा 5 के अनुसार, राज्य और केंद्र सरकार, सहकारी समितियां, सहकारी बैंक, स्थानीय निकाय, चाय बागान, उद्योग, जल विद्युत परियोजनाएं और राधास्वामी सत्संग ब्यास की जमीन को सीलिंग के नियमों से छूट दी गई थी।
हिमाचल प्रदेश में 2014 में भी दी गई थी छूट
2014 में वीरभद्र सिंह सरकार के कार्यकाल में राधास्वामी सत्संग ब्यास को लैंड सीलिंग एक्ट से छूट दी गई थी। लेकिन भारत सरकार ने एक शर्त लगाई थी कि इस छूट के तहत आने वाली जमीन को बेचा, लीज पर दिया, दान किया या किसी अन्य तरीके से ट्रांसफर नहीं किया जा सकेगा।
अब हिमाचल सरकार के इस नए संशोधन के बाद, धार्मिक संस्थाओं को जमीन बेचने और ट्रांसफर करने की सीमित अनुमति मिल सकती है, जो केवल धार्मिक कार्यों तक सीमित रहेगी। राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद यह विधेयक कानूनी रूप से प्रभावी हो जाएगा।