ब्यूरो रिपोर्ट: बिग स्टोरी
सोलन में टमाटर को सबसे बड़ी नगदी फसल माना जाता है हालांकि यहां कई सब्जियां भी प्रमुखता से उगाई जाती हैं। पर समस्या यह है कि इन फसलों का उचित दाम हर बार हासिल नहीं होता। ज़्यादातर घाटा कमाने वाले व कभी कबार खर्चा निकाल लेने वाले किसानों का, लाभ नामक चिड़िया से कभी सामना नहीं हुआ। क्योंकि खुद और परिवार के श्रम या दिहाड़ी को तो किसान कभी जोड़ता ही नहीं। ऐसे में ले दे कर इनके पास सिर्फ राजनीतिक धुरंधरों का आश्वासन ही बचता है। हर बार विधानसभा और लोकसभा चुनावों में फूड प्रोसेसिंग यूनिट नाम का एक तोता दिखाया जाता है और फिर चुनाव होते ही उसे पिंजरे में डाल दिया जाता है। ऐसे में फिर अगले चुनाव में ही नाम लिया जाता है। अब किसानों के पिछले दिनों भारत बंद की रैली के दौरान फिर इस शब्द का इस्तेमाल किया गया लेकिन शायद पहली बार किसानों ने खुद यह शब्द जुबां से निकाला। अब सवाल यह उठता है कि यह फूड प्रोसेसिंग यूनिट है क्या ? और इस मांग को कभी पूरा क्यों नहीं किया जा सका?
इस पर रौशनी डालते हुए सोलन संयुक्त किसान मोर्चा के सह संयोजक नितीश ठाकुर ने कहा सोलन जिला में किसानों की आय पूरे प्रदेश में सबसे कम है जिसकी बड़ी वजह यहां टमाटर पर आधारित प्रोसेसिंग उद्योग का ना होना है। इसकी मांग 20 वर्षों से किसान संगठन कर रहे है लेकिन सरकार और जन प्रतिनिधियों का इस पर रवैया बहुत उदासीन रहा है जिससे किसानों को उनके उत्पाद का न सही दाम मिल रहा है। राजनेताओं का इस पर ध्यान न देना चिंता का विषय है
अब सवाल खड़ा होता है कि आखिर जब हर चुनाव में विधायक उम्मीदवार टमाटर प्रोसेसिंग उद्योग स्थापित करने की बात कहते हैं तो आज तक इसे स्थापित क्यों नहीं किया जा सका? इस पर सोलन विधानसभा से 2017 में भाजपा उम्मीदवार रहे राजेश कश्यप का कहना है कि हिमाचल प्रदेश में शिमला के गुम्मा में बड़ा प्रोसेसिंग यूनिट लगने वाला है जिसमे टमाटर, सेब, आलू आदि प्रोसेस किये जाने वाले हैं लेकिन सोलन जिला के किसान फिलहाल छोटे स्तर पर किसान अपने प्रोसेसिंग उद्योग लगाकर लाभ कमा सकते हैं। उन्होंने कहा कि सोलन का टमाटर बहुत महंगा है जिससे बड़े प्रोसेसिंग यूनिट लाभ की स्थिति को सोच कर पीछे हट जाते हैं।
वर्तमान में भाजपा की सरकार प्रदेश में है और ऐसे में भाजपा कार्यसमिति के सदस्य ने साफ़ संकेत दिए हैं कि फिलहाल तो प्रोसेसिंग यूनिट को लेकर सरकार किसी तैयारी में नहीं है। वही स्थानीय विधायक धनीराम शांडिल ने भी साफ़ किया है की फ़ूड प्रोसेसिंग यूनिट केंद्र सरकार की मदद के बिना बना पाना मुश्किल है और जब उनकी सरकार सत्ता में काबिज़ होगी, इसे जल्दी ही बनाया जाएगा।
सभी की बातें सुनकर ऐसा लगता है कि फिलहाल सरकार के मुख्य एजेंडों से फ़ूड प्रोसेसिंग यूनिट का मुद्दा तो गायब है और इस पर कई वर्षों तक कोई काम होने का सवाल ही खड़ा नहीं होता। ऐसे में साफ़ झलकता है कि चुनावी समय में ही यह मुद्दा अच्छा लगता है और किसान इसे जल्द पूरा होने का आश्वासन भी ले सकते हैं लेकिन फिलहाल तो किसान सोलन में फ़ूड प्रोसेसिंग यूनिट स्थापित होने का सपना देखना छोड़ ही दे तो अच्छा होगा।