राज्यस्तरीय शूलिनी मेले में अनूठा संयोग, 100 साल पहले भी बिना शोभा यात्रा के निकली थी माँ शूलिनी

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देवभूमि हिमाचल को अपनी देवीय परम्पराओं और देवी-देवताओं में अपार आस्था के लिए जाना जाता है। प्रदेश के हर क्षेत्र में लगभग प्रतिदिन देव आस्था की पुष्टि के लिए कोई न कोई आयोजन किया जाता है। इन आयोजनों में न केवल क्षेत्र विशेष अपितु आसपास के बड़े सम्भाग की भागीदारी होती है। यह आयोजन जहां आमजन के मेलजोल का कारण बनते हैं वहीं देवभूमि में संस्कृति के प्रचार-प्रसार और आपसी सौहार्द को सुदृढ़ करने का माध्यम भी बनते हैं। जन आस्था का ऐसा ही एक प्रतीक है सोलन का राज्य स्तरीय शूलिनी मेला। शूलिनी मेले के आयोजन की परम्परा प्राचीन काल से चली आ रही है। पहले जहां केवल माता की शोभा यात्रा निकाली जाती थी वहीं अब वर्तमान में यह आयोजन पारम्परिक खेलों व संस्कृति के प्रचार-प्रसार का माध्यम बन गया है। परम्परा के अनुसार इस मेले का आयोजन आषाढ़ मास के द्वितीय रविवार को किया जाता है। परम्परा के अनुरूप मां शूलिनी को शोभा यात्रा के रूप में सोलन के गंज बाजार स्थित प्राचीन दुर्गा माता मंदिर में ले जाया जाता है, जहां वे 03 दिन तक अपनी छोटी बहन के घर निवास करती हैं। वर्षों से यह आयोजन निरंतर होता रहा है।

राज्यस्तरीय शूलिनी मेले का आज अंतिम दिन है लेकिन बीती रात शनिवार को मां शूलिनी ने मेले को कबूल कर सोलन वासियों को सुख समृद्धि का आशीर्वाद दिया है। कोरोना के चलते दूसरे साल भी सूक्ष्म रूप में मनाए जा रहे राज्यस्तरीय शूलिनी मेले को आखिरकार माँ शूलिनी ने कबूल कर लिया है। बताते चलें कि बीती रात शूलिनी मंदिर के पुजारी रामस्वरूप शर्मा ने बताया कि माता के अनुसार सूक्ष्म रूप से मनाया जा रहा मेला भी उन्हें स्वीकार है। साथ ही माता ने कहा कि कोरोना काल में सब की रक्षा होगी, वहीं सोलन वासियों को इस मौके पर माँ शूलिनी ने सुखसमृद्धि का आशीर्वाद भी दिया।

कोविड-19 के खतरे के दृष्टिगत देवभूमि हिमाचल में देवी-देवताओं में जन-जन की आस्था और प्रदेश सरकार द्वारा स्थापित नियमों के मध्य संतुलन बनाकर सोलन की अधिष्ठात्री देवी मां शूलिनी की शोभा यात्रा को निर्विघ्न संपन्न करवाकर जिला प्रशासन सोलन ने सेवा भावना, कर्तव्य परायणता एवं आमजन के विश्वास को बनाए रखने का बड़ा उदाहरण पेश किया है।

● वर्ष 1919-20 में प्लेग के कारण नहीं निकली थी मां की शोभयात्रा

जानकारी के अनुसार आज से पहले मात्र एक बार वर्ष 1919-20 में प्लेग के कारण नियत समय पर माता की शोभा यात्रा नहीं निकाली गई थी। वहीं अब कोरोना के चलते इस साल भी कोरोना संक्रमण के कारण दुबारा वैसी ही परिस्थितियां उत्पन्न हुई। डीसी सोलन कृतिका कुल्हारी ने यह सुनिश्चित बनाया कि शोभा यात्रा न केवल सूक्ष्म हो अपितु इस आयोजन में कोविड-19 के दृष्टिगत स्थापित विभिन्न नियमों का पूर्ण पालन हो। इसके लिए उन्होंने मां शूलिनी के कल्याणा वर्ग से बातचीत की और निर्धारित किया कि मां की शोभा यात्रा में इस वर्ष जन सैलाब नहीं होगा। मां शूलिनी मंदिर के पूजारी और कल्याणा वर्ग के चुनिंदा लोगों के साथ-साथ केवल प्रशासन तथा पुलिस के सीमित अधिकारियों को शोभा यात्रा में सम्मिलत होने की अनुमति दी गई। कोरोना महामारी के मध्य आयोजन को सफल बनाने के लिए जिला दण्डाधिकारी ने मां की शोभा यात्रा के जाने एवं वापिस आने के दिवस पर मात्र 04 घंटे के लिए शहर के उन क्षेत्रों में लाॅकडाउन के आदेश दिए जहां से सामान्य रूप से माता की शोभा यात्रा निकलती है। सोलन की जनता ने इन आदेशों का पूर्ण पालन किया। इससे न केवल शोभा यात्रा आयोजित हो पाई अपितु लोगों की अटूट आस्था भी बरकरार रही।