देश प्रदेश में बढ़ती महंगाई के बीच अब करवा चौथ भी नज़दीक आ गया है। आस्था और सजने सँवारने का यह त्यौहार महिलाओं को कुछ न कुछ सामान बाज़ार से खरीदना ही पड़ता है। ऐसे में रिवाज़ के अनुसार महिला कपड़ों से लेकर व्रत के सामान नया खरीदती हैं। ऐसे में महंगाई की मार से त्यौहार भी अछूते नहीं रहे हैं। पिछले साल के मुकाबले इस साल करवा चौथ पर खरीदे जाने वाला सामान कम से कम 10 प्रतिशत और अधिकतर 35 प्रतिशत तक महंगा हुआ है ज़ाहिर है महिलाओं का हाथ रसोई में तो तंग चल ही रहा था लेकिन अब करवा चौथ ने भी महिलाओं के हाथों में बेड़ियाँ बाँध दी है। खरीददारी के समय अब महिलाओं को कई खर्चों पर कैंची चलानी पड़ सकती है।
स्थानीय दुकानदार का कहना है कि पिछले साल के मुकाबले महिलाओं ने पहले ही खरीददारी करनी शुरू कर दी है। कोरोना के समय की रिकवरी अभी तक व्यापारी नहीं कर पाए हैं। उन्होंने बताया 20 से 30 प्रतिशत तक ब्रांडेड चीज़ों का रेट बढ़ गया है, और नॉन ब्रांडेड सामान बनाने वालों ने सामान की क्वालिटी कम कर दी है इसलिए इनके दाम पिछली बार जैसे ही हैं। हालांकि उन्होंने यह भी बताया कि ग्राहक भी यह समझ रहे हैं कि जब पेट्रोल डीज़ल के दाम बढ़े हैं तो ज़ाहिर तौर पर इन चीज़ों के दाम भी बढ़ेंगे।
दिया व करवा आदि बेचने वाले दुकानदार हरीश कुमार ने बताया कि इन सामानों का दाम भी 10 से 20 प्रतिशत तक महंगा हुआ है, उन्होंने कि दिया, करवा बनाने वाले कुम्हारों ने भी मिटटी की उपलब्धता न होने की बता कही है जिस कारण सभी सामान पर 3 से 4 रूपये उन्हें भी अधिक चुकाना पड़ रहा है।
भारतीय परम्परा में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में जब पति का हाथ तंग तो महिला सोच समझकर खर्चा करती हैं। ऐसे में महिलाओं को समझ नहीं आ रहा है कि खर्चा करें तो आखिर कहाँ? सिलिंडर खरीदने, तड़का लगाने से लेकर सब्जी बनाना सब महंगा हो गया है। ले देकर साल में कुछेक त्यौहार अपनी खरीदारी के लिए बचते हैं उन पर भी अब छूरी चलानी पड़ेगी।