महिला ने किराया मांगा तो पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने हेलीकॉप्टर में पहुंचाया था चंबा

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पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह में गरीबों और असहायों के लिए करुणा कई बार देखने को मिली। यह 2014 के आसपास की बात है। चंबा की एक औरत शिमला में उनके पास गईं और चंबा जाने के लिए किराया न होने की बात करने लगी। वीरभद्र सिंह इस महिला को दूसरे दिन अपने साथ हेलीकॉप्टर में बैठाकर चंबा ले गए। उनका चंबा का कार्यक्रम था।

रेड डालने सीबीआई पहुंची तो वीरभद्र बोले, खाना खाकर जाएं 
वीरभद्र सिंह के घर एक मामले में सीबीआई ने रेड की तो उनकी बेटी अपराजिता सिंह की शादी थी। वीरभद्र सिंह ने सीबीआई की टीम को चाबी पकड़वा दी और कहा कि वे खाना खाकर ही जाएं।

समर्थक राजा साहब नाम से पुकारते थे वीरभद्र को  
23 जून, 1934 को सराहन में जन्में वीरभद्र सिंह अपने पिता राजा पद्म सिंह के बाद बुशहर रियासत के अगले वारिस थे। इसीलिए उनके समर्थक उन्हें राजा साहब नाम से संबोधित करते थे।

अनगिनत कामों के लिए याद किए जाएंगे वीरभद्र
-सबकी शिक्षा के लिए खुद को थोक का व्यापारी बताकर उन्होंने घर-द्वार पर अनगिनत शैक्षणिक संस्थान खोले। घरों के समीप स्कूल खोलकर बच्चों विशेषकर दुर्गम क्षेत्रों की लड़कियों की शत-प्रतिशत शिक्षा सुनिश्चित करवाई।  
-नौकरियों के पिटारे खोलकर भी अनगिनत लोगों को रोजगार के अवसर दिए। 
-जरूरतमंद लोग मिलने आते तो किसी को भी निराश नहीं लौटाते थे। 
-अपनी जेब से ही किसी को किराया देते तो किसी को बेटी के विवाह के लिए जी खोलकर शगुन देते। उनके दरबार से कोई निराश न लौटता। अंतिम व्यक्ति की बात भी ध्यान से सुनते। 
-धर्मांतरण और गोवध के खिलाफ कड़ी सजा का प्रावधान कर मजूबत कानून बनाया।  अयोध्या में राम मंदिर बनाने के पक्षधर रहे। 
-परिजनों की देखभाल के लिए भी कानून बनाकर बुजुर्गों के हितों का ध्यान रखा। 
-उनका ब्यूरोक्रेसी के लिए स्पष्ट ऐलान था कि उनके मुंह से निकले हर शब्द को आदेश माना जाए। 
-दुर्गम डोडरा-क्वार, पांगी समेत किन्नौर, लाहौल स्पीति जैसे कबीलाई क्षेत्रों तक सड़कें पहुंचाईं। 
-हिमाचल प्रदेश के हितों का ध्यान रखा। कई मुद्दों को पड़ोसी राज्यों और केंद्र के समक्ष पूरे दमखम से रखते रहे। 
-सेब राज्य में डा. वाईएस परमार बागवानी एवं वानिकी विश्वविद्यालय खोला। 
-क्षेत्रीय संतुलन बनाने के लिए विधानसभा का शीत सत्र धर्मशाला में शुरू किया। 
-केंद्रीय विश्वविद्यालय, विधि विश्वविद्यालय, आईआईटी को धरातल पर उतारने के लिए भी वह प्रयासरत रहे। 
-अटल टनल के काम को गति देने में भी उन्होंने अपने कार्यकाल में बहुत गंभीरता दिखाई। 
-वीरभद्र सिंह ने विधायक के नाते वेतन नहीं लिया।