जेब में था मास्कबीते मंगलवार को स्थानीय विधायक एवं कृषि मंत्री डॉ रामलाल मार्कंडेय का स्पीति के लोगों द्वारा काजा में घेराव किया गया था| लोगों के विरोध के कारण मंत्री को वापिस लौटना पड़ा था| वही विरोध के दौरान लोगों ने उनके मास्क न लगाने को लेकर भी उनका विरोध किया,लोगों ने तो यहाँ तक कह दिया कि आप भले ही मंत्री हो पर रूल्स तो सबके लिए एक हैं| जनता के भारी विरोध पर आखिरकार मंत्री को जेब से निकालकर मास्क पहनना पड़ा| जिसका वीडियो सोशल मीडिया में भी वायरल हुआ है|वहीँ मंत्री के मास्क न पहनने को लेकर उनके खिलाफ कांगड़ा जिला के दिनेश शर्मा ने वीडियो सहित एक ऑनलाइन शिकायत एसपी लाहौल स्पिति को भेजी गई थी| जिस पर कार्रवाई करते हुए पुलिस प्रशासन की तरफ से शिकायत की जाँच में यह जबाब दिया गया कि “विधायक साहब की जेब में मास्क था, मंत्री आन्दोलनकारी भीड़ को सम्बोधित कर रहे थे,जहां वह जनता को स्पष्ट रूप से सम्बोधित कर पाये इस लिए उन्होनें अपने मुंह से मास्क हटाया था”, हालांकि मंत्री व उन के साथ आये अन्य सभी व्यक्ति पूरे रास्ते में नकाब पहने हुए थे और सभी लोग सरकार के निर्देशों का पालन कर रहे थे।
जबाब में कहा गया कि काजा घाटी में प्रवेश करने से पहले सुमदो चैक पोस्ट पर उनकी चिकित्सकों की टीम द्वारा चिकित्सकीय जांच और थर्मल स्कैन भी किया गया था तथा इन्हें सरकार द्वारा जारी निर्देशों की पालना के तहत मास्क पहनने का निर्देश भी दिया गया था। पुलिस वर्तमान में हालांकि 188 भारतीय दण्ड संहिता को छोड़कर कोई और दण्डात्मक प्रावधान सरकार द्वारा घोषित नहीं किए गये हैं और न ही पुलिस अधिनियम 2007 इस जिला में लागू है जिसके अन्तर्गत कोई कार्यवाही अमल में लाई जा सके|

पुलिस प्रशासन की तरफ से मामले की गोलमोल जाँच में भले ही उन्हें दोषी नहीं ठराया गया है लेकिन मंत्री और उनके साथ आए कुछ लोगों ने कोरोनावायरस के संक्रमण के चलते गृह मंत्रालय द्वारा जारी गाइड लाइन की अवेहलना की है| गृह मंत्रालय द्वारा जारी गाइडलाइन के अनुसार सार्वजनिक स्थलों पर फेस मास्क पहनना अनिवार्य है| वहीँ दो व्यक्तियों बीच में कम से कम दो गज दूरी होना जरुरी है| इस गाइडलाइन के मुताबिक सार्वजनिक स्थानों पर यदि कोई इन नियमों का उल्लंघन करता पाया जाये तो उसपर जुर्माना व कार्रवाई की बनती है जबकि पुलिस द्वारा उन्हें क्लीन चिट दे दी गई| जो पुलिस की जाँच पर सवालिया निशान लगता है| आम आदमी अगर मास्क नही लगाए तो उनके लिए जुर्माना है लेकिन जब जन प्रतिनिधि ऐसा करे तो उनके लिए कार्रवाई क्यों नही, सरकार के नियम आम आदमी और जन प्रतिनिधि के लिए अलग क्यों ?