हिमाचल प्रदेश वासियों के लिए 08 जुलाई, 2021 का दिन बहुत दुःखद रहा। प्रदेशवासियों के दिलों पर राज करने वाले राजा वीरभद्र सिंह का सुबह 03 बजकर 40 मिनट पर निधन हो गया। उनके देहांत से सिर्फ उनके क्षेत्रवासियों को ही नहीं बल्कि पूरे हिमाचलवासियों को गहरा दुःख पहुंचा है। आम तौर पर किसी की भी मृत्यु का दुःख सभी को लगता है लेकिन राजा वीरभद्र सिंह सभी के दिलों में जगह बनाये बैठे थे इसलिए उनके जाने से पूरे हिमाचल की जनता के दिलों पर आघात पहुंचा है।
उनके पंचतत्व में विलीन होने के बाद एक बार दोबारा बिग स्टोरी आपको दिखा रहा है उनकी ज़िन्दगी के कुछ महत्वपूर्ण पड़ाव जिन्हें देखकर सभी को उनकी ज़िन्दगी से सीख लेनी चाहिए।
- 23 जून 1934 को बुशहर के शाही खानदान में जन्म लेने के कारण लोग उन्हें राजा नाम विरासत में मिला लेकिन ज़मीनी स्तर पर जनता से जुड़े रहने के कारण और उनकी हर समस्या पर बिना देरी के निपटारा कर देने की वजह से लोगों में वे राजा साहब के नाम से विख्यात हुए।
- हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस पार्टी में इस समय इतने धड़े बन चुके हैं कि कोई भी राजनीतिक पार्टी इसका लाभ उठा सकती है लेकिन राजा वीरभद्र सिंह के होते हुए हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस को हराना इतना आसान नहीं था
- राजवंश के होने के कारण राजनीतिक दक्षता उन्हें विरासत में मिली थी इसी कारण फैसले लेने में वह देरी नहीं लगाते थे जन समस्याओं को दूर करने के लिए वे सब कुछ भूल कर काम को अंजाम देना उनकी खासियत रही
- जनप्रियता और दक्षता के दम पर हिमाचल प्रदेश के किसी भी हिस्से से चुनाव लड़कर वीरभद्र सिंह हमेशा जीते, हालांकि उन्हें 06 बार हिमाचल प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने का गौरव हासिल है लेकिन उनके भाग्य में सिर्फ प्रदेश की ही राजनीति नहीं लिखी थी। वह सांसद और केंद्रीय मंत्री तक रहे। उनकी लोकप्रियता कभी कम नहीं हुई
- आम तौर पर जब किसी राजनेता पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे तो जनता को विश्वास दिलाना मुश्किल हो जाता है लेकिन जब एक बार वीरभद्र सिंह पर करोड़ों के भ्रष्टाचार के आरोप लगे तो उनकी जनप्रियता के सामने यह सब फीके पड़ गए और उन पर जनता के विश्वास में कोई कमी नहीं आई।
- अपने मृत्यु से पहले वह दो बार कोरोना संक्रमित हुए लेकिन माँ भीमाकाली में अटूट विश्वास ने उन्हें दोनों बार कोरोना से छुटकारा दिलाया। अपने इलाज के दौरान भी उनके चेहरे पर मासूमियत और मुस्कराहट झलकती थी।
- वह सिर्फ जनता और अपनी पार्टी के लोगो तक ही सीमित नहीं थे विपक्षी पार्टियों के दिलों में भी उनको लेकर सम्मान और आदर था जिस कारण अन्य पारियों के लोग भी उन्हें बहुत पसंद किया करते थे। इसी वजह से उनकी आज मृत्यु होने के बाद प्रदेशभर में सरकार ने 03 दिनों का राजकीय शोक घोषित किया है।
वीरभद्र सिंह वीरवार को 87 साल की उम्र में पंचतत्व में विलीन हुए लेकिन समाज को बिना कहे बड़ा सन्देश देकर गए हैं कि ज़िन्दगी में शिद्दत से किये गए काम हमेशा सफल होते हैं। वैसे तो उनकी ज़िन्दगी सभी के लिए मिसाल है लेकिन हम उनसे क्या क्या सीख पाए यह हमें तय करना है।