जब सैंयाँ कोतवाल न भईल, तो कैसी होती है हालत, देखिये इस खबर में

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कच्चा मकान टूटी छत और उपर से रिसता पानी, मगर जब सैंयाँ कोतवाल न हो तो क्या ही करें।

सिरमौर की करगाणू पंचायत के जजाह गांव का एक परिवार ऐसी ही स्थिति में रहने को मजबूर है, घर की खस्ताहाल के बावजूद आज तक परिवार को किसी आवासीय योजना से नही जोड़ा गया है। इस परिवार के पास न तो खेती करने योग्य जमीन है और न ही कमाई का कोई दूसरा साधन, घर का मुखिया कुछ बिमार रहता है और दिहाड़ी मजदूरी करके परिवार का जैसे तैसे पेट पाल रहा है, इस परिवार मे दो भाईयों के बीवी बच्चों समेत कुल 9 सदस्य हैं जो इस कच्चे मकान मे रहते हैं आपको बता दें कि इस घर मे रहना किसी खतरे से खाली नही है और बरसात के मौसम मे तो यहां रहने वाले परिवार की जान पर बन आती है , कई बार तो इस मकान की छत भी तेज हवाओं के चलते उड़ चुकी है और जिस कारण छत पर रखे पत्थर भी मकान के अंदर गित जाते हैं और हमेशा यहां चोट लगने का खतरा बना रहता है और जब ढत उड़ जाती है तो उसे ग्रामीणों की मदद से फिर से लगाया जाता है । परिवार की माने तो छोटे छोटे बच्चों के साथ पूरा परिवार डर के साये मे इस मकान मे रहने को मजबूर है। परिवार सरकार से गुहार लगा रहा है कि जल्द से जल्द उन्हे किसी आवसीय योजना से जोड़ा जाए ताकी परिवार को असुविधाओं का सामना न करना पड़े। अब ऐसे मे यदि इस परिवार के साथ मकान की खस्ताहाल के चलते कोई अप्रीय घटना घट जाती है तो उसका जिम्मेवार कौन होगा, ये अपने आप मे एक बड़ा सवाल है

घर की सदस्य अनिता कुमारी ने बताया कि उनके घर की हालत बहुत खराब है और बरसात मे घर मे पानी हो जाता है जिसे पूरी पूरी रात घर से निकालना पड़ता है और हवाओं के कारण उनके घर की छत तक उड़ जाती है जिसे बार बार बांधना पड़ता है वहीं बच्चे भी डर के साये मे रहते हैं और हमेशा डर लगा रहता है कि छत पर रखे पत्थर कहीं उन पर न गिर जांए ऐसे मे वे सरकार से गुहार लगाती है कि जल्द से जल्द उन्हे किसी आवासीय योजना से जोड़ा जाए क्योंकि खुद उनका परिवार घर की मुरम्मत तक करने मे असमर्थ हे और दिहाड़ी मजदूरी कर बड़ी मुश्किल से घर का निर्वाह हो पा रहा है।

स्थानीय निवासी हरदेव ने बताया कि अनिता का परिवार काफी गरीब है और इनका कच्चा मकान है जो काफी टूटा फूटा हुआ है यह मकान खतरे से खाली नही है। उन्होंने सभी ग्रामीणों की और से भी सरकार से निवेदन करते करते हुए कहा कि इन्हे जल्द ही किसी आवासीय योजना से जोड़ा जाए ताकि इन्हे अच्छा घर मिल सके जिसकी इन्हे सख्त जरूरत है।

पंचायत प्रधान विद्यानंद शर्मा का कहना है कि प्रधानमन्त्री आवास योजना के तहत इस परिवार का सर्वे अधिकारियों ने 2018 या 19 में किया है। इस दौरान 46 परिवारों का सर्वे हुआ था जिसका सरकार की ओर से अब तक अप्रूवल नहीं आया है। इसके अलावा बीपीएल परिवार होने के कारण मुख्यमंत्री आवास योजना के लिए भी 2020 में सर्वे हुआ है अगर वहां से कोई पैसा आता है तो सरकार के आदेशों का पालन करते हुए काम किया जाएगा।