बिग स्टोरी सोलन ब्यूरो
सोलन को मशरूम सिटी के नाम से जाना जाता है क्यों कि देश में मशरुम की खेती को सबसे पहले सोलन में ही शुरू किया गया था जिसके बाद पूरे हिमाचल प्रदेश और फिर पूरे भारत में इसका महत्त्व लोगों को समझ आया। वर्ष 1981 में सोलन में मशरुम अनुसंधान निदेशालय की स्थापना हुई और अब यहाँ से हर साल सैंकड़ों किसान मशरुम लगाने की ट्रेनिंग लेकर सफल किसान और व्यवसायी बनते हैं।
इसके बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए मशरुम अनुसंधान निदेशालय, सोलन के डायरेक्टर डॉ वीपी शर्मा ने बताया कि दुनिया में 3000 के करीब मशरुम की प्रजातियां हैं जिनमे से 60 सिर्फ तरह के मशरुम की खेती व्यावसायिक तौर पर की जाती है। भारत की बात करें तो व्यावसायिक रूप से भारत में 05 किस्मों की मशरुम की खेती की जाती है और कुल मशरुम की खेती में से 70 प्रतिशत बटन मशरुम की खेती किसानों द्वारा अपनाई गई है।
डॉ वीपी शर्मा का कहना है कि जब खुम्ब की महत्वता को समझा गया तब सोलन में ही खुम्ब अनुसंधान निदेशालय की स्थापना हुई। हिमाचल प्रदेश के अधिकतर लोग मशरूम की महत्वता को जानते हैं। हिमाचल के परिप्रेक्ष्य में 15000 मीट्रिक टन मशरुम का उत्पादन प्रतिवर्ष होता है। यहां मुशरूमम की खेती करने के लिए लोगों को प्रोत्साहित या प्रेरित करने की ज़रूरत नहीं पड़ती।
मशरुम के औषधीय गुणों के बारे में भी डॉ वीपी शर्मा ने जानकारी देते हुए कहा अन्य मशरूमों की किस्मों के साथ साथ सोलन में उगने वाला मशरुम कई औषधीय गुण रखता है लेकिन कोर्डिसेप्स मशरूम का नाम ऐसे मशरूम में शामिल है जो बहुत महंगा भी बिकता है साथ ही इसके कई औषधीय गुण भी हैं। इसे उगाने की ट्रेनिंग भी डीएमआर उपलब्ध करवा रहा है कोई किसान चाहे तो विभाग में संपर्क कर सकता है.
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