हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय (एचपीयू) में नेट, जेआरएफ टेस्ट पास न करने पर भी कुलपति, यूआईआईटी के निदेशक, डीन प्लानिंग एंड डेवलपमेंट के बच्चों को सीधे पीएचडी में प्रवेश दे दिया गया है। इन अभ्यर्थियों ने पीएचडी प्रवेश परीक्षा भी पास नहीं की है। एचपीयू ने अपने लाडलों को पीएचडी में प्रवेश दिलाने के लिए नया फार्मूला निकाला है। सीधे प्रवेश के प्रस्ताव को 21 अगस्त को हुई कार्यकारी परिषद (ईसी) की बैठक में मंजूरी दिलाई गई है। वहीं, पीएचडी में प्रवेश के लिए निकाले गए विज्ञापन में इस कैटेगरी का कोई जिक्र नहीं है। इससे कई कर्मचारियों के बच्चे इससे वंचित रह गए। इस सत्र से पीएचडी में सीधे प्रवेश की प्रक्रिया लागू कर दी गई है।
बैठक से मंजूरी दिलाकर कई विभागों में ऐसे अभ्यर्थियों से एक लाख रुपये एकमुश्त फीस लेकर प्रवेश दिया गया है। हर विभाग में विवि कर्मियों के बच्चों की एक-एक सीट का अलग से प्रावधान किया गया है। इस बार पीएचडी में सीधे प्रवेश लेने वालों की सूची जारी हो चुकी है। इससे सीधे तौर पर माना जा रहा है कि विवि के शिक्षक और गैर शिक्षक एकमुश्त फीस देकर अपने बच्चों को पीएचडी में प्रवेश दिला सकते हैं। विवि के कई आला अधिकारियों के बच्चों को कंप्यूटर साइंस, इंग्लिश और मैनेजमेंट जैसे विभागों में पीएचडी में प्रवेश का मामला सामने आया है।
एनएसयूआई के प्रदेशाध्यक्ष छत्तर सिंह ठाकुर ने कहा कि विश्वविद्यालय में पीएचडी में सीधे प्रवेश के लिए सीट क्रिएट कर अपने लाडलों को लाभ दिया जा रहा है। यह सीधे यूजीसी के पीएचडी प्रवेश का उल्लंघन है। एनएसयूआई इससे संबंधित दस्तावेज जुटा चुकी है, जल्द इसका पर्दाफाश किया जाएगा। वहीं, कंप्यूटर साइंस के विभागाध्यक्ष जवाहर ठाकुर ने माना कि नया प्रावधान लागू कर दिया है। विभाग में एक बच्चे को प्रवेश दिया है। यह मायने नहीं रखता कि किस का बच्चा है, केवल उसका अभिभावक विवि का कर्मचारी होना चाहिए।