हिमाचल प्रदेश उप चुनावों में भाजपा को बागियों के अलावा किसान मोर्चों की खिलाफत का भी नुक्सान उठाना पड़ेगा। हालांकि जुब्बल कोटखाई और अर्की में घोषित अघोषित बागियों की खिलाफत पार्टी झेल ही रही है लेकिन अब भारतीय किसान यूनियन टिकैत ने भी खिलाफत का ऐलान कर दिया है। बुधवार को सोलन और शिमला में मोर्चे की प्रेस वार्ता में यूनियन के प्रदेशाध्यक्ष अनिंदर सिंह नौटी ने इस चुनाव में बीजेपी के खिलाफ यूनियन के इस फैसले की बात मीडिया के सामने रखी।

भारतीय किसान यूनियन टिकैत के प्रदेशाध्यक्ष व संयुक्त किसान मोर्चा के राज्य संयोजक अनिंदर सिंह नॉटी ने कहा कि भाजपा सरकार का किसानों के प्रति सबसे ज़्यादा असंवेदनशील रहा है। कितने किसान शहीद हुए हैं लेकिन सरकार कि और से कोई संवेदना तक प्रकट नहीं की गई। किसान कहीं का भी हो उन्हें असली श्रद्धाँजली भाजपा को हरा कर दी जायेगी। किसान मज़दूर की नाराज़गी भाजपा की हार का कारण बनेगी। उन्होंने कहा कि जिला सोलन में किसानों ने अपने दम पर तरक्की की है भाजपा का इसमें कोई योगदान नहीं है। सुविधाओं के अभाव में सोलन के किसान को बड़ी समस्याएं झेलनी पड़ी, सरकार ने इस पर भी कभी कोई कार्य नहीं किया.
युवाओं से आह्वान करते हुए कहा कि नौजवानों के लिए बेरोज़गारी और शिक्षा का गिरता स्तर है। प्रदेश सरकार के इस रवैये के खिलाफ़ हिमाचल प्रदेश का युवा इस बार वोट करे। उन्होने कहा कि भले ही हिमाचल में भले ही चुनाव मुद्दों पर आधारित न हो रहा हो लेकिन किसान आंदोलन के दौरान पूरे तरीके से मुद्दों पर आधारित ही संघर्ष हो रहा है और हर माध्यम से मुद्दों का ही प्रचार प्रसार किया जा रहा है।
ज़ाहिर है जिस ज़मीनी स्तर पर अब हिमाचल में किसान संगठन काम कर रहे हैं उसे देखकर लगता है कि किसानों के असर को हिमाचल प्रदेश में अनदेखा नहीं किया जा सकता। लेकिन कितना असर इसका होने वाला है यह देखना अभी बाकी है।