दो बार के ओलंपिक मेडलिस्ट सुशील कुमार हत्या के एक मामले में सलाखों के पीछे हैं। सुशील के अर्श से फर्श तक आने की कहानी छत्रसाल स्टेडियम पर आकर टिकती है। नजफगढ़ में पैदा हुए सुशील कुमार 14 साल के थे मॉडल टाउन के छत्रसाल स्टेडियम में ट्रेनिंग शुरू की थी। घर की हालत ठीक नहीं थी कि दो-दो पहलवानों की ट्रेनिंग करवाई जा सके, इसलिए संदीप ने पहलवानी छोड़ी और सुशील को मौका दिया।
इस एक मौके को सुशील ने खूब भुनाया और एक के बाद एक मेडल बटोरते चले गए। इसमें उन्होंने जूनियर चैंपियनशिप, एशियन चैंपियनशिप, कॉमनवैल्थ और ओलंपिक में सबको दिखा कि उनसे बड़ा पहलवान कोई नहीं है। 2012 आते-आते सुशील कुमार ने पहलवानी का शिखर छू लिया था। यहीं से शुरू हुई एक सुशील कुमार की जिंदगी का दांव उलटा पड़ने की कहानी।
पहलवानी करने वाला हर युवा सुशील कुमार को आदर्श की तरह देखता था। इन्हीं में से एक था सागर धनखड़। सागर 2012-13 सत्र में छत्रसाल स्टेडियम आया। यहीं पर उसका टेस्ट हुआ। टेस्ट लेने वाले भी सुशील ही थे। सुशील के ससुर और छत्रसाल स्टेडियम में पहलवानी का स्कूल चलाने वाले सतपाल सिंह भी सागर से प्रभावित हुए। होस्टल में सागर को कमरा दिला दिया गया। उसकी ट्रेनिंग चलने लगी। सागर बढि़या पहलवान था। देश-विदेश में कई मेडल जीते। पिछले साल तक यहीं होस्टल में रहता था। उसके बाद मॉडल टाउन के एम ब्लॉक में शिफ्ट हो गया। आरोप है कि जिस फ्लैट में सागर रहता था, वहीं से उसे अगवा कर लिया गया। इसी महीने की चार तारीख को रात करीब 11 बजे एम ब्लॉक के उसी फ्लैट पर कुछ लोग पहुंचते हैं।
मीडिया रिपोट्र््स के अनुसार सागर और उसके साथियों को किडनैप कर लिया गया। सागर के अलावा जिन्हें किडनैप किया गया, उन्होंने पुलिस को बताया कि नीचे कार में सुशील कुमार बैठे थे। सबको गन प्वाइंट पर छत्रसाल स्टेडियम ले जाया गया। वहीं, जहां से सुशील कुमार की ट्रेनिंग शुरू हुई। वहीं, जहां से सागर का करियर आगे बढ़ा। आरोप है कि इसी छत्रसाल स्टेडियम की पार्किंग में सागर और उसके दोस्तों- सोनू और अमित कुमार को बुरी तरह पीटा गया। तीनों की हालत खराब थी। उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां सागर ने दम तोड़ दिया। नाम आया सुशील कुमार का। किस वजह से यह पूरी घटना हुई, इसे लेकर कुछ साफ नहीं है।
सुशील के साथ दो ओलंपिक खेलों में हिस्सा लेने वाले मुक्केबाज विजेंदर सिंह ने कहा कि भारतीय खेलों के लिए उसने जो किया है, उससे वह कभी नहीं छीना जा सकता। इस समय मैं बस यही कहना चाहता हूं। चीजें साफ होने दीजिए। मैं इससे अधिक टिप्पणी नहीं करना चाहता। चौथी बार ओलिंपिक में हिस्सा लेने की तैयारी कर रहे अचंता शरत कमल ने स्वीकार किया कि इस घटना से भारतीय खेलों की छवि को नुकसान होगा। उन्होंने कहा कि अगर असल में ऐसा हुआ है, तो यह दुर्भाग्यशाली है और सिर्फ कुश्ती नहीं, बल्कि भारतीय खेलों पर गलत असर डालेगा।
शरत कमल ने कहा कि वह हमारे सर्वश्रेष्ठ खिलाडि़यों में से एक है। लोग उससे प्रेरणा लेते हैं। इसलिए अगर उसने ऐसा किया है तो इसका सिर्फ पहलवानों की नहीं, बल्कि अन्य खेलों के खिलाडि़यों पर भी नकारात्मक असर पड़ेगा ओलंपिक 2008 में भारतीय ओलंपिक संघ के पर्यवेक्षक रहे पूर्व हाकी कप्तान अजितपाल सिंह ने खेलों के दौरान सुशील के साथ बातचीत को याद करते हुए कहा कि उन्हें अब तक समझ नहीं आ रहा कि इस ‘भद्र’ व्यक्ति के साथ क्या गलत हुआ। वहीं, कुछ अन्य खिलाडि़यों की प्रतिक्रियाएं भी आईं, जिन्होंने कहा कि उन्हें इस मामले में बेहद हैरानी है।